हम नकारात्मक लोग !





हम नकारात्मक लोग !


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 हम नकारात्मक लोगों ने भाजपा की मजबूत आई टी सेल के होते हुए लॉक डाउन में घोषित अल्प सहायता का जमकर विरोध किया। सरकार को झुकना पड़ा और सहायता राशि एक लाख 70 हजार करोड़ हुई।


 


हम नकारात्मक लोगों ने  मजदूरों के पैदल पलायन पर लगातार  लिखा विवश होकर केंद्र व राज्य सरकारों को बसों का इंतजाम करना पड़ा। भूखे प्यासे मजदूरों से बसों के किराया चार्ज करने के खिलाफ लिखा तो बसें फ्री हुई।


              


हम नकारात्मक लोगों ने लॉक डाउन से गरीबों को होने तकलीफ की पोस्ट लिखी तो 


प्रधानमंत्री ने मन की बात में माफी मांगी l


 


हम नकारात्मक लोगों ने किसान मजदूर छोटे छोटे पटरी व्यावसायी और फुटकर मेहनत मंजूरी करने वालों के जीवन यापन पर लॉक डाउन के दुष्प्रभाव के बारे में लिखा तो केंद्र सहित सभी राज्य सरकारों ने विभिन्न पैकेज की घोषणा करनी पड़ी l


 


हम नकारात्मक लोगों ने आज जब यूपी में गाड़ी साफ करने वाले केमिकल  से मजदूरों को नहलाते हुए अधिकारियों का सच दिखाते हुए कड़ी आपत्ति जाहिर की तो भक्तों ने हम लोगों को नकारात्मक ,पूर्वाग्रह से ग्रसित ,कुंठित ,कांग्रेस के चमचे ,कम्युनिस्ट ,मोदीविरोधी ,देशद्रोही ,टुकड़ा टुकड़ा गैंग सहित ना यहां ना लिखने वाली अनेकों गालियों से नवाजा l


 


अंत मे हम जैसों के चीखने चिल्लाने से मजदूरों पर ज़हरीला केमिकल छिड़कने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही हुई l


 


हम नकारात्मक लोगों का विश्वास मज़बूत होता जा रहा है  कि किसी एक व्यक्ति को रॉबिनहुड मानकर उसकी भक्ति करने से व्यवस्था नहीं सुधरेगी l


 


इस कथित नकारात्मकता के सकारात्मक नतीजे देखकर आप स्वयं अंदाजा लगा लें कि यह मोदी का मास्टर स्ट्रोक बताने वाले गोदी मीडिया या मोदी मोदी जाप करने वालों  भक्तों के बस की बात नहीं है l


 


दो दिन पहले जिस सरकार की एक मात्र प्राथमिकता  उच्च और मध्यम वर्ग से थाली बजवाने का नाटक करने की थी वह अचानक तरह - तरह की घोषणाओं पर उतर आई l


 


आम जनता के इस या उस सरकार का भक्त होने से सबसे बड़ी दिक्कत यह  है कि सोचने समझने के सारे द्वार बंद हो जाते हैं l वह अपने नायक की साधारण सी बात , उसकी नाटकीयता और उसके बारे में प्रचारित झूठे प्रचार से इस कदर मुग्ध होता है कि सत्य बात करने वाला उसे देश का दुश्मन नज़र आता है l यह एक किस्म का  मनोरोग है जिसकी चपेट में मध्यम वर्ग के अधिकांश लोग और औसत बुद्धि के लोग आ चुके है l जो अखबारों की खबरों से ज़्यादा आई टी सेल और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की खबरों पर विश्वास करते हैं l


कोरोना से निपटने के बाद इन मनोरोगियों की काउंसलिंग होनी चाहिए l क्योंकि ये वज्र मूर्ख अपना भला बुरा समझने की स्थिति में भी नही है l


 


हम मतलब हम जैसे सब l जय जन रखवाला।